Showing posts with label जिंदगी-मीना पाठक. Show all posts
Showing posts with label जिंदगी-मीना पाठक. Show all posts

Tuesday, February 5, 2013

ज़िंदगी




















जिन्दगी !!!
तुम इतनी बेजार क्यों ?
परेशान क्यों ?
 मैंने जब भी
 चाह  की
 तुझे गले से लगाने की
 झटक के दामन
 छुड़ा के  बइयां
 बेबस कर गयी मुझे
 और मेरी खुशियाँ
 बाट जोहती रही
  तुम्हारा
 जिन्दगी
 तुम कब से इतनी
निष्ठुर हो गयी  ||

चित्र - गूगल


मीना पाठक


शापित

                           माँ का घर , यानी कि मायका! मायके जाने की खुशी ही अलग होती है। अपने परिवार के साथ-साथ बचपन के दोस्तों के साथ मिलन...