Thursday, December 31, 2015

बहुत याद आओगे तुम

सुनो !
तुम जा रहे हो ना
रोक तो नहीं सकती तुम्हें
मेरे वश में नहीं ये
पर तुम बहुत याद आओगे
क्यों कि
बहुत रुलाया है तुमने
पीड़ा से आहत कर
आँसुओं के सागर में डुबाया है तुमने
याद आओगे जब भी
रिसेगें सारे जख्म
धधकेगी क्रोध की ज्वाला
नफरतों का गुबार लिए अंतर में
बहुत याद आओगे तुम
क्यों कि
घिर गई थी जब
निराशाओं के भँवर में
राह ना सूझ रही थी
कोई इस जग में
अपनों में  बेगानों सी
खो गई थी तम में
तब तुमने संबल दिया
जीने का हौसला
आँखों में आँखें डाल
सामना करने की हिम्मत
अपने हक, सम्मान के लिए
आवाज उठाने की,

विरोध करने की ताकत
अपनेआप को साबित करने
और दुनिया को ये दिखाने की
कि मैं, मैं हूँ
तुम बहुत याद आओगे
क्यों कि
तुमने ही तो मुझको
मुझसे मिलाया है,
दुनिया कितनी खूबसूरत है
ये बताया है
प्रेम करना सिखाया है, खुद से
सच...बहुत याद आओगे तुम  ||
 







नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
सादर
मीना पाठक

शापित

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