Saturday, December 13, 2014

पापा की याद

"पापा आप कहाँ चले गये थे मुझे छोड़ कर" अनन्या अपने पापा की उंगुली थामे मचल कर बोली
"मैं तारों के पास गया था, अब वही मेरा घर है बेटा" साथ चलते हुए पापा बोले
"तो मुझे भी ले चलो न पापा तारो के पास !" पापा की तरफ़ देख कर बोली अनन्या
"नहीं नहीं..तुम्हें यहीं रह कर तारा की तरह चमकना है" पापा ने कहा
"पर पापा मैं आप के बिना नही रह सकती, मुझे ले चलो अपने साथ या आप ही आ जाओ यहाँ"
"दोनों ही संभव नही है बेटा..पर तुम जब भी मुझे याद करोगी मुझे अपने पास ही पाओगी,कभी हिम्मत मत हारना, उम्मीद का दामन कभी ना छोड़ना,खूब मन लगा कर पढ़ना, आसमां की बुलंदियों को छूना और धुवतारा बन कर चमकना बेटा, मैं हर पल तुम्हारे पास हूँ पर तुम्हारे साथ नही रह सकता |"
अचानक अनन्या की आँख खुल गई, सपना टूट गया, पापा उससे उंगुली छुडा कर जा चुके थे, उसकी आँखों में अनायास ही दो बूँद आँसू लुढक पड़े | आज एक मल्टीनेशनल कम्पनी में उसका इंटरव्यू था और रात उसे पापा की बहुत याद आ रही थी  |

मीना पाठक



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